अपनीबात... के बारे में अपने सुझाव इस ई - मेल आई डी पर भेजें singh.ashendra@gmail.com या 94257 82254 पर SMS करें

सोमवार, 1 सितंबर 2008

हम सब विपदा में हैं

बिहार में बाढ़ की त्रासदी, उड़ीसा में साम्प्रदायिकता की आग और इस बीच गणेश चतुर्थी और बुधवार का शुभ संयोग। जब सारी दिशाओं में ज़िन्दगी आपदाओं के सफ़े पर अपना वज़ूद तलाश रही हो तब कहाँ का शुभ संयोग. ज़मीनी तौर पर बिहार हो या उड़ीसा सबका अपना भूगोल हो सकता है लेकिन हमारे (जिस में आप भी शामिल हैं) ज़हन में सभी का एक अखंड मानचित्र है. हम सब विपदा में हैं. किसी की आखें पानी में घर तलाश रही हैं तो कोई आग में अपने परिजनों की जलती हुई तस्वीर देख रहा है.असमान पर उम्मीद तलाशती आखों में खाने के पैकिट चाँद बन गए हैं. हमारे मित्र सचिन का एक मेल आज मिला जस का तस प्रस्तुत कर रहा हूँ.
आज सुबह भागलपुर से विनय तरुण का फोन आया. परेशान और हडबडाती आवाज में उन्होंने बताया कि बाढ की आढ में जारी सरकारी नरसंहार के बीच लोग थकने लगे हैं. मददगार हाथों की ताकत भी धीरे धीरे खत्म हो रही है. उनकी उम्मीद भरी आंखें देश के हर हिस्से की तरफ ताक रही हैं. वे नहीं कह पाए कि हम क्या करें. भोपाल से बैठकर सिर्फ देखा, पढा और सुना जा सकता है कि वहां जिंदगी कितनी पानी है और कितनी जमीन. आज यानी एक सितंबर को शाम छह बजे कुछ साथी त्रिलंगा में मिलेंगे. हम उम्मीद करते हैं कि आप वहां आएंगे और कोई राह सुझाएंगे कि बेचैन करने वाले वक्त में ढांढस के अलावा कोसी के बीच फंसी जिंदगियों को क्या दिया जा सकता है. समय की कमी हो तो फोन कर लें. आप आइये फिर बात करते हैं।
सचिन का मोबाईल नंबर है - +९१९९७७२९६०३९
नई इबारतें

कोई टिप्पणी नहीं: