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शनिवार, 8 मई 2010

प्रकृति की अमूल्य रचना है पक्षी

(विश्व प्रवासी पक्षी दिवस पर विशेष)

- अनिल गुलाटी
पूरे विश्व में पिछले 30 सालों में पक्षियों की 21 प्रजातियां लुप्त हो गई, जबकि पहले औसतन सौ साल में एक प्रजाति लुप्त होती थी।यह आंकड़ा भले ही हमें आश्चर्य में डाल दें, पर यह सच है। यदि हम जल्द ही इन्हें बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाते हैं, तो हम प्रकृति की इस अमूल्य रचना को खो देंगे।पक्षियों की, खासतौर से प्रवासी पक्षियों की, हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रवासी पक्षी अपनी लंबी यात्रा से विभिन्न संस्कृतियों और परिवेशों को जोड़ने का काम करते हैं। उन्हें किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता। अपनी लंबी यात्रा में वे प्रत्येक साल पहाड़, समुद्र, रेगिस्तान बहादुरी से पार कर एक देश से दूसरे देश का सफर करते हैं। इस सफर में उन्हें तूफानन, बारिश एवं कड़ी धूप का भी सामना करना पड़ता है। प्रवासी पक्षियों की दुनिया भी अद्भुत है, सबकी अपनी-अपनी विशेषता है। पक्षियों की ज्ञात प्रजातियों में 19 फीसदी पक्षी नियमित रूप से प्रवास करते हैं, इनके प्रवास के समय और स्थान भी अनुमानित होते हैं। प्रवासी पक्षी हमारी दुनिया की जैव विविधता के हिस्सा हैं और कई बार उनके आचार-विचार से हमें यह पता लगाने में आसानी होती है कि प्रकृति में संतुलन है या नहीं।पक्षियों से जैव विविधता को बनाये रखने में मदद मिलती है और इस वजह से हमें दवाइयां, ईंधन, खाद्य पदार्थ, आदि महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलती है। इनमें कुछ ऐसी जरूरतें भी है, जिनके बिना हम अपने जीवन के बारे में सोच नहीं सकते। ऐसी स्थिति में हमें इनके संरक्षण और जैव विविधता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने ही चाहिएं।प्रवासी पक्षियों की इस महत्ता को देखते हुए 2006 से विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाये जाते का निर्णय लिया गया। इसके तहत प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए अपनाये जाने वाले जरूरी उपायों को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाता है, साथ ही इनके प्रवास को सहज बनाए रखने के उपाय किए जाते हैं। यह दिवस मई के दूसरे शनिवार को मनाया जाता है। 2010 में इस साल इसे 8 मई को पूरी दुनिया मनाया गया । इस दिन पक्षी प्रेमी शैक्षणिक कार्यक्रम, बर्ड वाचिंग, उत्सव आदि आयोजन करके पक्षियों को बचाने की मुहिम चलाते हैं।हर साल इस दिवस के लिए एक विषय तय किया जाता है। इस बार प्रवासी पक्षियों को संकट से बचाएं-सभी प्रजातियों की गणना करें विषय रखा गया है। इसका मुख्य उद्देश्य है- अति गंभीर स्थिति में खत्म होने के कगार पर खड़ी प्रजातियों को केन्द्र में रखते हुए विश्व स्तर पर संकटग्रस्त प्रवासी पक्षियों को बचाने के लिए जागरूकता पैदा करना। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2010 को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष घोषित किया गया। इसे ध्यान में रखते हुए विश्व प्रवासी पक्षी दिवस पर यह जोर दिया गया कि किस तरह से प्रवासी पक्षी हमारी जैव विविधता के हिस्सा हैं और किस तरह से पक्षी की एक प्रजाति के संकट में पड़ने से कई प्रजातियों के लिए संकट खड़ा हो जाता है । अंतत: यह पृथ्वी के पूरे जीव जगत के लिए खतरा बन सकता है। जैव विविधता किसी भी प्रकार के जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। इस तरह के दिवस या वर्ष सिर्फ उत्सव के लिए नहीं होते, बल्कि इसे पृथ्वी पर मौजूद जीवन की विविधता को बचाने के लिए निमंत्रण के रूप में लेना चाहिए। पृथ्वी पर जीवन उसकी जैव विविधता के कारण ही है। इसमें असंतुलन सभी प्रजातियों के लिए संकट का कारण हो सकता है। जीवन की उत्पत्ति में लाखों साल लगे हैं और इसी के साथ जैव विविधता की अद्भुत दुनिया का विकास भी हुआ है। यह विविधता सभी प्रजातियों को एक-दूसरे पर आश्रित रहने का प्रमाण है। यह सभी जैविक इकाइयों को उसकी जरूरतें पूरा करती है और मनुष्य के लिए भी यह भोजन, दवाइयां, ईंधन एवं अन्य जरूरतें उपलब्ध कराती है। पर अफसोस की बात है कि मनुष्य की गतिविधियों के कारण पक्षियों की कई प्रजातियां खत्म हो गई और कई खात्मे की कगार पर है। यह ऐसा नुकसान है, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती और अंतत: जीविकोपार्जन पर संकट पैदा करते हुए जीवन को संकट में डाल देगा।विलुप्ति की वर्तमान दर प्राकृतिक विलुप्ति दर से हजार गुना ज्यादा है। कहां सौ साल में पक्षी की एक प्रजाति लुप्त होती थी और कहां अब पिछले 30 साल में 21 प्रजातियां लुप्त हो गई हैं।वैश्विक स्तर पर 192 पक्षी प्रजातियों को अति संकटग्रस्त श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। यह पर्यवास का खत्म होना, शिकार, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, मनुष्यों द्वारा बाधा उत्पन्न करना आदि कारकों का परिणाम है, पर यह सभी किसी न किसी तरह से मनुष्यों के कारण ही है।यदि तत्काल कोई कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो कुछ सालों बाद हम इन संकटग्रस्त पक्षियों को खो देंगे। इन संकटग्रस्त प्रवासी पक्षियों को बचाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण काम यह होगा कि हमें इनके प्राकृतिक पर्यवास को बचाने के साथ-साथ नए पर्यवास विकसित करने होंगे। हमें यह विचार करना चाहिए कि किस तरह से ये अपने जीवन संरक्षण के लिए राजनीतिक, संस्कृतिक एवं भौगोलिक सीमाओं को लांघते हुए एक सुरक्षित रहवास के लिए हजारों किलोमीटर की कठिन सफर को पूरा करते हैं और यदि उन्हें प्रवास के लिए सुरक्षित स्थान नहीं मिलेगा तो क्या होगा? यह जरूरी है कि उनके पर्यवास के पास पर्याप्त सुरक्षा भी हो ताकि उनका शिकार न किया जा सके। भोपाल की झीलें हो या फिर इन्दौर की झीलें या अन्य छोटे-बड़े नम क्षेत्र, हमें उनके प्राकृतिक स्वरूप के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।निश्चय ही ऐसा करके हम न केवल पक्षियों का संरक्षण करेंगे बल्कि जैव विविधता को बचाते हुए अपनी भावी पीढ़ी के जीवन को ही बचाने का काम करेंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।