लखवी को जमानत मिलने का मतलब है कि पेशावर बाल संहार के दोषियों को उनके
पेरेंट्स ने माफ कर दिया है। क्या यह संभव है अगर नहीं तो क्या इसे यह समझा जाना चाहिए कि यह दुनियां के लिए एक संदेश है कि हमारी धरती पर कुछ भी हो आतंकवाद को लेकर हम अपना रवैया नहीं बदलेंगे। मासूमों के खून से सनी किताबें चीख - चीख कर कह रही हैं कि यह पन्ने तो सिर्फ पेटिंग बनाने के लिए हैं इन पर खून से यह अबूझ इबारत क्यों लिख डाली।
राजस्थान: मस्जिद के अंदर मौलवी की हत्या, तीन दिन बाद भी कोई गिरफ़्तारी
नहीं- ग्राउंड रिपोर्ट
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एक मस्जिद के अंदर मौलवी की डंडों से पीट-पीट कर हत्या होने के तीन दिन बीतने
के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं.
2 घंटे पहले
1 टिप्पणी:
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