लखवी को जमानत मिलने का मतलब है कि पेशावर बाल संहार के दोषियों को उनके
पेरेंट्स ने माफ कर दिया है। क्या यह संभव है अगर नहीं तो क्या इसे यह समझा जाना चाहिए कि यह दुनियां के लिए एक संदेश है कि हमारी धरती पर कुछ भी हो आतंकवाद को लेकर हम अपना रवैया नहीं बदलेंगे। मासूमों के खून से सनी किताबें चीख - चीख कर कह रही हैं कि यह पन्ने तो सिर्फ पेटिंग बनाने के लिए हैं इन पर खून से यह अबूझ इबारत क्यों लिख डाली।
डीलिस्टिंग: धर्म परिवर्तन करने वाली अनुसूचित जनजातियां क्या आरक्षण के दायरे
से बाहर हो जाएंगी?
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हाल के सालों में धर्म के आधार पर आदिवासी समुदायों में एक ऐसी दरार साफ़ नज़र
आ रही है जिसका असर चुनावी नतीजों पर भी दिख रहा है. बीबीसी की ग्राउंड
रिपोर्ट.
1 घंटे पहले
1 टिप्पणी:
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