बहुत सी बातें जो हम और आप रोज़मर्रा की जिंदगी में हल्के-फुल्के अंदाज़ में कर लेते हैं .कभी- कभी ये बातें फ़ोन या मोबाइल पर भी होती हैं . इन्ही बातों में से निकलती हैं कई समस्याएं और उनके समाधान. इन बातों में समावेश रहता है समाज और राष्ट्र के हित का ...इन बातों से तय होता है सरकार का भविष्य और हमारा वर्तमान ...इन बातों में होती है दोजून की रोटी की जुगाड़ ...इन बातों के कुपोषित शब्द देते हैं पोषाहार की गुणवत्ता की गवाही ...इन बातों में रहती है गुलाबी ठंड की सिहरन और धूप की गुनगुनाहट ... ये बातें होती हैं ख़राब सड़क का संगीत और बाजरा की रोटी का सोंधापन... ये बातें होती हैं गुड की मिठास ...ये बातें होती है खुशबू की तरह... इन्ही बातों से प्रवाहित होती है प्रेम की अविरल धारा ...क्योंकि.............ये बातें होती हैं अपनों से अपनी बात.........अपनीबात...
पढ़ाई करते - करते साहित्य और पत्रकारिता का चस्का लग गया. छपास के रोग और अन्दर के विद्रोह ने पत्रकारिता को रोजी - रोटी से जोड़ दिया. अखबारों में काम करते हुए रेडियो से जुडा और आकाशवाणी ग्वालियर से शुरू हुई यात्रा ने आकाशवाणी भोपाल में लम्बा पड़ाव लिया. इसी बीच टी वी में सक्रिय रूप से काम करने का अवसर मिला. केन्द्र में हमेशा विकास और जनसामान्य से जुडे मुद्दे ही रहे.दिल्ली के एक मीडिया संसथान में लम्बी पारी खेलने के बाद इन दिनों मध्यप्रदेश में कार्यरत हूँ.
1 टिप्पणी:
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