(एक)
मां !
क्या सूख गया है ?
तुम्हारे स्तनों का दूध
तुम्हारी आँखों का पानी
या तुम्हारी ममता
जो -
संकट के बादल घिर आये हैं !
(दो)
मां !
क्या नहीं है ?
वह झूला
वह रातें, वे परियां
या वह लोरी
जो, आखों से उड़ गयी है नींद ...!
(तीन)
मां !
यहाँ क्या छूटा है ?
बचपन, जीवन
कलियाँ, मधुवन
या मैं, या तुम
या समय
(चार)
मां !
मैं तुम्हारे पेट मैं रहा
या तुम मेरे पेट में हो
तुमने मुझे जन्म दिया
या मैं तुम्हें दाग देने वाला हूँ
- आशेन्द्र
दिल्ली के सीआर पार्क में मछली बाज़ार पर भिड़े महुआ मोइत्रा और बीजेपी के
नेता, जानिए क्या है मामला
-
पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से टीएमसी की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने
दावा किया है कि बीजेपी के लोग दिल्ली के बंगाली बहुल चितरंजन पार्क इलाके में
मछली वि...
2 घंटे पहले
4 टिप्पणियां:
माँ शब्द ही अद्भुत है...मदर्स डे पर आपकी कविता बहुत पसंद आई...माँ के आगे संसार की तमाम चीज़ें कुछ भी महत्त्व नहीं रखती..
माँ अम्मा ये कोई शब्द नही है मंत्र है। गर कोई इसे ही दुहराते रहे तो ईश्वर ही मिल जायेगे।
भावुक कवितायें
माँ पर मेरी एक कविता देखिये।
http://asuvidha.blogspot.com/2009/03/blog-post.html
MA KE CHARNO ME SWARG HOTA HAI. MA KHUSH TO SARI DUNIYA KI KHSHI MIL JATI HAI.
L.K.CHHAJER
THAR EXPRESS
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