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शनिवार, 2 मई 2009

पत्रकारिता चापलूसी का पेशा नहीं है

पत्रकारिता चापलूसी और टीपने का पेशा नहीं है . आखिर एक दिन तो जीहुजूरी का अंत होता ही है . ग्वालियर के एक दैनिक ने पहले तो मालिक की जी हुजूरी करने वाले संपादक को नौकरी से बर्खास्त कर दिया , लेकिन संपादक महोदय ने अपनी जगह पर आये दूसरे संपादक को ज्यादा दिन नहीं टिकने दिया और मक्खनबाजी के अपने हुनर से उन्हें कुर्सी से सरका दिया अब खुद उस पर विराजमान हैं . कुर्सी मिलते ही मक्खनबाज संपादक ने अपना रुतबा दिखाया और फोटोग्राफर से कथित तौर पर पर पत्रकार बने एक सज्जन की नौकरी ले डूबे . ये बात अलग है कि पत्रकारिता का चस्का ले चुके ये सज्जन अपने पुराने गुरु के पास फिर से पहुच गए हैं और पत्रकार बने रहने की कोशिश कर रहे हैं . चलते - चलते बता दूँ कि दैनिक भास्कर को लम्बे समय से अपनी सेवाएं दे रहे विभावाशु तिवारी ने भास्कर को अलविदा कह कर नई दुनिया, ग्वालियर ज्वाइन कर लिया है.

3 टिप्‍पणियां:

Ashok Kumar pandey ने कहा…

अरे हम तो आपकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने जा रहे थे।

श्यामल सुमन ने कहा…

दरबारी एक राग है दरबारी को ज्ञान।
राग किनारे है पड़ा दरबारी का मान।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Randhir Singh Suman ने कहा…

patrkarita mein nabbe pratishat log management ki chaplushi karte hai aisa samanyta dekhne ko mila hai

suman
loksangharsha.blogspot.com