हमारे एक अज़ीज हैं शिवप्रताप सिंह जी, पत्रकारिता के साथ-साथ साहित्य (पढने और लिखने) में भी ख़ासा दख़ल रखते हैं आज उनसे बात हो रही थी मैंने इन दिनों अपने उदास रहने का जिक्र उनसे किया। उन्होंने अपनी एक रचना सुनते हुए मेरे हौसले को बढ़ाया । शिव ने यह रचना नवम्बर 2005 में लिखी थी अपनीबात के पाठकों की नज़र कर रहा हूँ । यह कहते हुए कि आगे बढ़ मर्दाना लिख अगर पसंद आये तो शिव को 09425127676 पर एक एसएमएस कर सीधे बधाई भी दे सकते हैं ।
आगे बढ़ मर्दाना लिख
आज प्यार का तराना लिख
खुद को तू दीवाना लिख
बिगड़ी लगे हवा शहर की
इंसानियत मरजाना लिख
घरोंदे पर भी नज़र रहे गर
चिड़िया का आना- जाना लिख
हिम्मत दिखाए गर कोई हसीना
आगे बढ़ मर्दाना लिख ...!
2 टिप्पणियां:
उनको हमारी तरफ से बधाई दें, आपको इन पंक्ितयों को ब्लॉग पर डालने के लिए हम धन्यवाद देते हैं।
एक टिप्पणी भेजें